‘’न जाने क्यूं तन्हा हूं मैं,
हमेशा भीड़ साथ ही तो रहती है मेरे’’
इस किताब में विभिन्न शैलियों का उपयोग करके अपने विचारों को लोगों के सामने रखा है। शिवाली ने अपने लिखी हुईं कविताओं से लोगों का मनोरंजन किया है। एक लेखक किसी कहानी को रोंगटे खड़े करने वाली कहानी भी बना सकता है। लेखक साहित्य, कला और रचनात्मक लेखन के विभिन्न रूप जैसे उपन्यास, कहानी, नाटक, निबंध के साथ-साथ विभिन्न उपयोगितावादी रूप जैसे रिपोर्ट, लेख, पत्रिका, समाचार लेख का निर्माण करते हैं। यह किताब कविता संग्रह है। इसमें ज़िंदगी, प्रेम, परिवार, समाज,बेटी,दर्द, जीवन के हर पहलू के बारे में लिखा गया है। मैंने कुछ सत्य घटनाएं और अपने मन की बात को आप तक पहुंचाने की कोशिश की है। उम्मीद है आपको ये पसंद आएगी।
लेखक परिचय
मेरा नाम शिवाली श्रीवास्तव है। मैं मीडिया की जानकार हूं। साथ ही लेखन में रुचि रखती हूं। ये मेरी पहली कविता संग्रह है। मुझे आज भी याद है जब मैंने अपनी पहली कविता लिखी थी कभी सोचा नहीं था कि कविता का संग्रह कर पाऊंगी। अपनी पुस्तक से पाठकों में दोबारा पढ़ने की भावना जागृत करना है। उम्मीद है पाठकगण मेरी इस किताब को बेहद प्यार देंगे।
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